इन्क्रीमेंट हो गया? सैलरी बढ़ गई? अभी से शुरू करें टैक्स प्लानिंग वरना बढ़ा हुआ पैसा चला जाएगा सरकार के पास
इन्क्रीमेंट होते ही आपकी सैलरी बढ़ जाएगी (Salary Hike), जो किसी खुशखबरी से कम नहीं. लेकिन जरा रुकिए, कहीं आप इन्क्रीमेंट की वजह से टैक्स (Tax Calculation) के दायरे में तो नहीं आ गए?
अधिकतर कंपनियों में इन्क्रीमेंट (Salary Increment) का काम पूरा हो चुका है, लेकिन कुछ कंपनियों ने अभी भी इन्क्रीमेंट की प्रोसेस पूरी नहीं की है. खैर, आज नहीं तो कल सभी का इन्क्रीमेंट हो ही जाएगी. इन्क्रीमेंट होते ही आपकी सैलरी बढ़ जाएगी (Salary Hike), जो किसी खुशखबरी से कम नहीं. लेकिन जरा रुकिए, कहीं आप इन्क्रीमेंट की वजह से टैक्स (Tax Calculation) के दायरे में तो नहीं आ गए? या कहीं पैसे बढ़ने की वजह से आपका टैक्स स्लैब तो नहीं बढ़ गया? ऐसे में अगर आपको टैक्स बचाना है तो इन्क्रीमेंट होने के तुरंत बाद से ही टैक्स प्लानिंग शुरू कर देनी चाहिए. आइए पहले जानते हैं कैसे-कैसे आप टैक्स (Tax Calculation) बचा सकते हैं और किस तरह करनी चाहिए टैक्स प्लानिंग (Tax Planning).
1- ईपीएफ में करें मैक्सिमम निवेश
बहुत सी कंपनियां ईपीएफ में मैक्सिमम लिमिट तक निवेश नहीं करती हैं. ईपीएफ में आपकी बेसिक सैलरी का अधिकतम 12-12 फीसदी निवेश किया जा सकता है. यानी 12 फीसदी कर्मचारी और 12 फीसदी कंपनी. अगर आपकी कंपनी कम निवेश कर रही है तो आप उससे अधिकतम सीमा तक निवेश के लिए कह सकते हैं. मौजूदा वक्त में ईपीएफ पर 8.15 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जो काफी अधिक है.
2- वीपीएफ में करें निवेश
अगर आप गारंटी के साथ लंबी अवधि के बाद अच्छा रिटर्न चाहते हैं तो आप वीपीएफ में पैसे लगा सकते हैं. वीपीएफ का अकाउंट ईपीएफ के साथ-साथ ही खुल सकता है. इस अकाउंट में निवेश की कोई सीमा नहीं है. आप चाहे तो अपनी बेसिक सैलरी का 100 फीसदी भी इसमें निवेश कर सकते हैं. हालांकि, ईपीएफ और वीपीएफ का कुल मिलाकर आपको इनकम टैक्स में 80सी के तहत सिर्फ 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स बेनेफिट मिलेगा. तो आप खुद से देख लें कि कितना ईपीएफ कट रहा है और कितना वीपीएफ कटवाना है. इस खाते पर भी ईपीएफ जितना ही ब्याज मिलता है. वीपीएफ के लिए आपको अपनी कंपनी के एचआर से संपर्क करना होगा और वह आपका वीपीएफ खाता खोल देंगे, जिसके बाद हर महीने आपकी सैलरी से पैसे कटकर उस अकाउंट में जाते रहेंगे.
3- पीपीएफ भी है काम की चीज
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पीपीएफ में आप हर साल कम से कम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं. पीपीएफ की मेच्योरिटी 15 साल बाद होती है और इस पर 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है. तो अगर आप इस खाते में पैसे डालना चाहते हैं तो यह भी आपका टैक्स बचाने वाला टूल है.
4- यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान
यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान (Unit Linked Investment Plans) यानी यूलिप (ULIPs) में निवेश के साथ इंश्योरेंस का भी फायदा मिलता है. 80सी के तहत इसमें भी 1.5 लाख रुपये तक पर टैक्स छूट मिलती है. यूलिप के तहत सालाना प्रीमियम 1.5 लाख रुपये से अधिक होता है तो उस अतिरिक्त प्रीमियम पर टैक्स लगेगा. हालांकि, अगर आप रिटायरमेंट प्लानिंग के मकसद से निवेश कर रहे हैं तो एनपीएस ज्यादा बेहतर रहेगा.
5- नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) में आपको 60 साल की उम्र तक पैसे निवेश करने हैं. इसके बाद आपको मेच्योरिटी पर कुल पैसों का 60 फीसदी मिल सकता है, जबकि कम से कम 40 फीसदी पैसों से आपको कोई एन्युटी प्लान खरीदना होगा. इस प्लान की मदद से आपको हर महीने एक तय रकम पेंशन के रूप में मिलती रहेगी. इसके तहत आप 2 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स छूट पा सकते हैं.
6- सुकन्या समृद्धि योजना
सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) के तहत 10 साल से कम उम्र की बच्ची का खाता खुलवाया जा सकता है. वैसे तो स्कीम के अंतर्गत अधिकतम दो बच्चियों का ही खाता खुल सकता है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में 3 बच्चियों का खाता भी स्कीम के तहत खुल सकता है. इसके तहत आपको हर साल कम से कम 250 रुपये जमा करने होते हैं. यह राशि एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है. इस पर आप टैक्स छूट पा सकते हैं.
इन्क्रीमेंट के तुरंत बाद टैक्स प्लानिंग क्यों जरूरी
ऊपर बताए गए तरीके टैक्स बचाने के कुछ लोकप्रिय तरीके हैं. इनके अलावा भी कई जगह निवेश कर के आप टैक्स छूट पा सकते हैं. अब सवाल ये उठता है कि इन्क्रीमेंट के बाद ही टैक्स प्लानिंग क्यों करें? दरअसल, इनक्रिमेंट के बाद ही आप ये सही से समझ पाएंगे कि आपकी कितनी सैलरी पर टैक्स लगने वाला है. ऐसे में आप आसानी से अपने रोजमर्रा के खर्चों और टैक्स बचाने के लिए निवेश के बीच एक बैलेंस बना सकते हैं.
बिना कहीं निवेश किए ऐसे बचाएं टैक्स
अगर आपको कहीं निवेश नहीं करना है और टैक्स भी बचाना है तो इसके लिए आप कंपनी रीइम्बर्समेंट की मदद ले सकते हैं. तमाम कंपनियां हाउस रेंट अलाउंस, लीव ट्रैवल अलाउंस, इंटरनेट अलाउंट, यूनीफॉर्म अलाउंस, फूड अलाउंस आदि देती हैं. ये सारे अलाउंस कंपनी की तरफ से रीइम्बर्स किए जाते हैं, जिसकी वजह से वह आपकी टैक्सेबल इनकम में नहीं जुड़ते हैं. ऐसे में इन्क्रीमेंट के बाद आप एक बार अपनी कंपनी के एचआर से बात करें और अपने सैलरी स्ट्रक्चर में तमाम रीइम्बर्समेंट के टूल्स जुड़वा लें. इससे आप बिना कहीं निवेश किए भी टैक्स बचा सकते हैं.
12:40 PM IST